कृष्ण लीला का हिस्सा: गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की लीला का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जब वे गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोपियों को सुरक्षित रखने के लिए किया था।

पर्वत पूजा: गोवर्धन पूजा को 'पर्वत पूजा' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें गोवर्धन पर्वत की पूजा होती है।

 गोवर्धन पूजा का आयोजन: इस पर्व का आयोजन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है।

 गोवर्धन पूजा व्रत: इस दिन लोग व्रत रखते हैं और गोवर्धन पर्वत की मूर्ति पूजा करते हैं।

अन्नकूट बनाना: गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट बनाया जाता है, जिसमें अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं और उन्हें भगवान कृष्ण को चढ़ाया जाता है।

गोवर्धन परिक्रमा: गोवर्धन पूजा के दिन भक्त गोवर्धन परिक्रमा का आयोजन करते हैं, जिसमें वे गोवर्धन पर्वत की पूजा के साथ ही उसका परिक्रमण भी करते हैं।

गोवर्धन पूजा के मंदिर: भारतवर्ष में कई स्थानों पर गोवर्धन पूजा के दिन विशेष मंदिरों में आयोजन होता है, जो भक्तों की भीड़ से भरा होता है।

गोवर्धन पूजा के गीत: कई स्थानों पर गोवर्धन पूजा के दिन भक्तिमय गीतों का गायन होता है जो भक्तों को भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण कराते हैं।

गोवर्धन पूजा का महत्व: इस पूजा का महत्व है क्योंकि इसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अनुयायियों के साथ मनाया था और इसे भारतीय सांस्कृतिक के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में माना जाता है।

विभिन्न नाम: गोवर्धन पूजा को भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि 'बलिप्रतिपदा' या 'गोवर्धन पर्व'

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